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बिहारवासियों के लिए दीपावली संदेश - (Date: 20-10-2025)

बिहार के सभी नागरिकों को दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएँ। यह पर्व सादगी, धर्म और सौभाग्य की उज्ज्वल परंपरा का प्रतीक है, जिसकी नींव आदि शक्ति माता जानकी और सद्गुण पुरुषोत्तम श्रीराम ने अयोध्या के पावन अवसर पर रखी थी।

श्रीरामजी का लंका विजय के बाद अयोध्या लौटना केवल उस पिता-भक्त राजकुमार की गाथा नहीं है, जिसने अपने वचन की मर्यादा पूरी की। यह सत्य, सादगी, संयम और धर्म के मार्ग पर आधारित अंधकार पर अटल विजय का प्रतीक भी है। इसी कारण दीपावली का यह उत्सव मानवता के अंधकार से उज्ज्वल विकास यात्रा का प्रकाश भी है।

दीपावली के दीपों की रौशनी में अहंकार और तमसिक प्रवृत्तियों का नाश होता है। एक ओर हम अंतर और बाहरी रूप से ‘अष्टलक्ष्मी’ की आराधना करते हैं — आदि लक्ष्मी, धनलक्ष्मी, धान्यलक्ष्मी, गजलकष्मी, संतानलक्ष्मी, वीरलक्ष्मी, विजयरक्ष्मी और विद्यालक्ष्मी।

अष्टलक्ष्मी की पूजा के पश्चात आधीशक्ति जगद्धात्री मां काली की मध्यरात्रि में पूजा होती है, जिससे परिवार और समाज को सभी प्रकार की नकारात्मक प्रवृत्ति और दुर्बलता से सुरक्षा मिलती है। तत्पश्चात उषा काल में ‘गोवर्धन पूजा’ के माध्यम से सत्त्व और सौभाग्य का संचार किया जाता है। यह दीपोत्सव वास्तव में संस्कृति, सौभाग्य और समृद्धि के त्रिवेणी संगम का उत्सव है।

इस दीपावली, आइए हम संकल्प करें कि अहंकार, अंधकार और अमानवीयता के हर प्रतीक को दूर करके समाज, पर्यावरण और राज्य को सुव्यवस्थित विकास की राह पर ले जाएंगे। अपने श्रम, शक्ति, सहयोग और सही निर्णय से बिहार की राज-संस्कृति को देश और विश्व के सामने वास्तविक राष्ट्रीय गौरव के रूप में स्थापित करेंगे।